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अडानी समूह के बुरे दिन की शुरूआत? अडानी को सबसे बड़ा ठग कहा गया
चार दिन में अडानी को लगा सवा दो लाख करोड़ रूपए की चपत

आकाश श्रीवास्तव

थर्ड आई वर्ल्ड न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली, 28 जनवरी 2023

देश के जाने माने उद्योगपति गौतम अडानी जो अडानी समूह के मालिक हैं और जो देश के सबसे धनी उद्योगपति और अभी तक दुनिया के तीसरे धनी व्यक्ति थे अचानका उनकी रहीशी का सिंहासन हिल चुका है। अमेरिका की फारेंसिक फाइनेंशियल रिसर्च फर्म कंपनी हिंडनबर्ग ने अडानी समूह पर जो शोध किया है उससे अडानी समूह और अडानी समूह के शेयर धारकों को तगड़ा झटका लगा है। 24 जनवरी को फारेंसिक फाइनेंशियल रिसर्च फर्म कंपनी हिंडनबर्ग अचानक एक रिपोर्ट आई। इस रिपोर्ट ने भूचाल ला लिया  है। न केवल अडानी समूह की कंपनियों में भूकंप मचने लगा, बल्कि शेयर बाजार भी धराशाही हो गए। अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या गौतम अडानी और अडानी समूह के बुरे दिन आ चुके हैं।
अमेरिकी कंपनी की रिपोर्ट के बाद बाजार लाल निशान के साथ डुबकी लगाने लगा। रिपोर्ट ने ऐसा झटका दिया कि दो दिन में निवेशकों को 4.2 लाख करोड़ रुपये स्वाहा हो गए। अडानी समूह की 10 कंपनियों के शेयर क्रैश होने लगा है। साल 2023 के शुरूआत तक दुनिया के तीसरे सबसे अमीर उद्योगपति गौतम अडानी एक ही झटके में 25 बिलियन डॉलर गंवाकर इस लिस्ट में सातवें नंबर पर पहुंच गए। ये दौर यहीं नहीं खत्म हो रहा। इस रिपोर्ट के कारण न चाहते हुए भी गौतम अडानी के साथ एक शर्मनाक रिपोर्ट जुड़ गया है। गौतम अडानी इस साल दौलत गंवाने के मामले में नंबर एक पर पहुंच गए हैं। जिस रिपोर्ट ने गौतम अडानी और उनकी कंपनियों की नींद उड़ा दी, उसके बारे में जानना भी जरूरी है। आखिर वो कौन सी अमेरिकी कंपनी है, जिसकी रिपोर्ट ने गौतम अडानी की नींद उड़ा दी है। इस बीच विश्व पटल पर जहां अडानी तीसरे नंबर के सबसे धनी उद्योगपति थे रिपोर्ट के आने के बाद तीन से सातवें नंबर पर अडानी आ चुके हैं। वहीं मुकेश अंबानी 13 वें स्थान पर आ गए हैं। 

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक एसबीआई समेत अन्य बैंकों ने कहा है कि वे रिपोर्ट के बाद सतर्क हैं लेकिन कर्ज को लेकर कुछ भी चिंताजनक नहीं है। एसबीआई के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अडानी समूह को जो कर्ज दिया गया है, वो आरबीआई की लिमिट के भीतर ही है। सभी जरूरी नियमों का पालन किया गया है। बैंक के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने समाचार एजेंसी को बताया कि अडानी समूह ने हाल के दिनों में एसबीआई से कोई फंडिंग नहीं जुटाई है और बैंक निकट भविष्य में उनके किसी भी फंडिंग अनुरोध पर "विवेकपूर्ण निर्णय" लेगा। अधिकारी ने कहा कि इसके बाद ही बोर्ड, समूह में बैंक के कर्ज पर कोई फैसला करेगा।

उधर अडानी ग्रुप के शेयरों में शुक्रवार को लगातार दूसरे सत्र में भारी गिरावट आई। इसका असर बैंक एवं फाइनेंशियल शेयरों पर भी देखने को मिला। भारतीय बैंकों ने अडानी ग्रुप की कंपनियों को करीब 80,000 करोड़ रुपये का कर्ज दे रखा है। दूसरी ओर एलआईसी (LIC) का अडानी ग्रुप की कंपनियों में 70,000 करोड़ रुपये से अधिक निवेश है। इस कर्ज और निवेश के डूबने की आशंका से बैंकों और एलआईसी के शेयरों में भारी बिकवाली देखी गई। बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda) के शेयरों में सात फीसदी से अधिक गिरावट आई जबकि एसबीआई (SBI) का शेयर 4.69 फीसदी गिर गया। देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी एलआईसी का शेयर एक समय 4.3 फीसदी तक गिर गया था लेकिन बाद में यह 3.25 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ। स्कूल ड्रॉप आउट गौतम अडानी ने अपने दम पर अडानी समूह का विशाल साम्राज्य खड़ा कर दिया। एशिया के सबसे अमीर शख्स बन गए। दुनिया के अरबपतियों की लिस्ट में उन्हें तीसरा पायदान मिला था, लेकिन अमेरिकी रिसर्च फर्म की एक रिपोर्ट ने खलबली मचा दी है। अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग (Hinderburg Reserch) ने अडानी समूह पर गंभीर आरोप लगाए, जिसकी वजह से गौतम अडानी को बड़ा नुकसान हुआ है। गौतम अडानी की संपत्ति गिरकर 96.6 अरब डॉलर पर पहुंच गई है। इस रिपोर्ट के कारण अडानी के नेटवर्थ में 23 बिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ है।
उधर हिंडेनवर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को लेकर ग्लोबल इंडेक्स प्रोवाइडर MSCI (मॉर्गन स्टेनली कैपिटल इंटरनेशनल) ने गौतम अडानी समूह से इस पर जवाब देने को कहा है। रिसर्च रिपोर्ट पर MSCI ने कहा- हम वर्तमान स्थिति और रिपोर्ट सेजुड़े कारकों के बारे में बारीकी से निगरानी कर रहे हैं। हम उस वजह की भी समीक्षा कर रहे हैं जो सिक्योरिटीज की पात्रता को प्रभावित कर सकते हैं। MSCI के बयान मेंआगेकहा गया हैकि अडानी समूह की प्रतिक्रिया के बाद अडानी स्टॉक इंडेक्स के ट्रीटमेंट पर निर्णय लेगा। 

फिलहाल हिडेनवर्ग की रिसर्च में रिपोर्ट में अडानी समूह पर बाजार में हेर फेर और धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि समूह "कॉर्पोरेट इतिहास में सबसे बड़ी ठगी" का नेतृत्व कर रहा है। इस वजह सेअडानी ग्रुप के स्टॉक्स बुरी तरह धराशायी हो गए हैं। सिर्फ दो कारोबारी दिन मेंसमूह का मार्केट कैप 4 लाख करोड़ रुपया कम हो गया है। रिपोर्ट के अनुसार अडानी ग्रुप के कुल कर्ज में बैंकों का 38 फीसदी, बॉन्ड्स और कमर्शियल पेपर्स का 37 फीसदी और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन का 11 परसेंट है। वित्त वर्ष 2022 में अडानी ग्रुप पर दो लाख करोड़ रुपये का कर्ज था जिसमें करीब 80,000 करोड़ रुपये बैंकों का था। 

कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने एक बयान में कहा कि सरकारी बैंकों ने अडानी ग्रुप के निजी बैंकों की तुलना में दोगुना कर्ज दिया है। इसमें से 40 फीसदी कर्ज एसबीआई ने दिया है। इससे उन लोगों का पैसा डूबने के कगार पर पहुंच गया है जिन्होंने अपनी गाढ़ी कमाई एलआईसी और एसबीआई में निवेश की है। रमेश ने कहा कि अगर अडानी ग्रुप पर लगे आरोप सही हैं तो एसबीआई जैसे सरकारी बैंकों को भारी नुकसान हो सकता है। एलआईसी ने अडानी ग्रुप की कंपनियों में अपना निवेश बढ़ाया है। 30 सितंबर, 2022 तक के आंकड़ों के मुताबिक एलआईसी का कुल इक्विटी पोर्टफोलियो 10.27 लाख करोड़ रुपये का था। इसमें से अडानी ग्रुप की कंपनियों में एलआईसी का निवेश करीब सात फीसदी है। हाल के महीनों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने अडानी ग्रुप की कंपनियों में अपना निवेश कम किया है। पिछले साल सरकार एलआईसी का आईपीओ लाई थी। लेकिन इसका शेयर कभी भी अपने इश्यू प्राइस तक नहीं पहुंच पाया है।
एलआईसी ने हाल में अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी टोटल गैस और अडानी ट्रांसमिशन में अपना निवेश बढ़ाया है। अडानी एंटरप्राइजेज में एलआईसी का निवेश 30 सितंबर, 2022 को 4.02 फीसदी था जिसका मूल्य 17,966 करोड़ रुपये था। इसी तरह अडानी टोटल गैस में एलआईसी की 5.77 फीसदी, अडानी ट्रांसमिशन में 3.46 फीसदी और अडानी ग्रीन एनर्जी में 1.15 फीसदी हिस्सेदारी है। इसी तरह अडानी पोर्ट्स में एलआईसी की हिस्सेदारी 11.9 फीसदी है। आज इसमें से कई कंपनियों के शेयरों में 20 फीसदी तक गिरावट आई। इससे एलआईसी को 16,300 करोड़ का नुकसान हुआ है। अडानी ग्रुप की सात कंपनियों में एलआईसी का निवेश है।

इस बीच मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) भी इस मामले में सतर्क हो गया है। रॉयटर्स की एक खबर के मुताबिक सेबी पिछले साल अडानी ग्रुप द्वारा किए गए हरेक सौदे की बारीकी से जांच करेगा। अडानी ग्रुप ने हाल में कई बड़े सौदे किए हैं। इनमें अंबूजा सीमेंट्स और एसीसी लिमिटेड का अधिग्रहण शामिल है। साथ ही अमेरिका की शॉर्ट सेलर कपनी Hindenburg Research की रिपोर्ट की भी स्टडी की जाएगी। इस रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। हालांकि अडानी ग्रुप ने इस आरोपों का खंडन करते हुए अमेरिका कंपनी के खिलाफ कोर्ट जाने की बात कही है। बड़े बुजुर्गों की यह सीख आपने जरूर सुनी होगी कि बेटा उधार मत लेना चाहे रोटी सूखी खानी पड़े। लेकिन कारोबारी दुनिया में इसका उल्टा ही होता है। बड़े कारोबारी घराने कर्ज की नींव पर अपना व्यापार खड़ा करते हैं। कंपनी चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना हो, कारोबारी विस्तार के लिए उसे कर्ज लेना ही पड़ता है। लेकिन अगर एसेट्स और लायबिलिटी में बैलेंस नहीं रहा तो नैया डूबने में भी समय नहीं लगता। कर्ज हो लेकिन एक लिमिट तक। कोरोबारी दुनिया में कर्ज की बात अडानी ग्रुप  का नाम लिये बिना संभव नहीं है। अडानी का कर्ज (Adani Group Debt) चर्चा में इसलिए है, क्योंकि पैसा जुटाने के लिए यह ग्रुप आने वाले समय में 5 आईपीओ लॉन्च करने वाला है। अडानी ग्रुप पर बार-बार यह आरोप लगते रहे हैं कि वह अपने कारोबारी विस्तार के लिए बेतहाशा कर्ज ले रहा है। 

यही नहीं अडानी समूह के शेयरों के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी के शेयर वास्तविक कीमत से अधिक पर बेचे जा रहे हैं। उधर भले ही गौतम अडानी इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हों, लेकिन आंकड़े झूठ नहीं बोलते। 31 मार्च 2022 को पूरे हुए वित्त वर्ष में अडानी ग्रुप का कुल कर्ज 40 फीसदी बढ़कर 2.2 लाख करोड़ रुपये हो गया। फिच ग्रुप के क्रेडिट साइट्स ने यह आंकड़ा जारी किया था। क्रेडिट साइट्स ने अडानी ग्रुप को ओवर लीवरेज्ड बताकर कर्ज पर चिंता जताई थी।









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