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चंद सेकेंड में उड़ा दी गयी सुपटटेक की भ्रष्टाचार से बनी इमारत

आकाश श्रीवास्तव

थर्ड आई वर्ल्ड न्यूज़ नेटवर्क

नोएडा, 28 अगस्त 2022

नोएडा के सेक्टर-93ए स्थित भ्रष्टाचार के कंकरीट से बने सुपरटेक ट्विन टावर को 28 अगस्त 2022 को दोपहर लगभग 2 बजकर 31 मिनट पर बारूदों से महज कुछ सेकेंडों में उड़ा दिया गया। इस टावर को उड़ाने को लेकर मीडिया और लोगों में कौतुहल बना हुआ था। भ्रष्टाचार की नींव पर खड़े सुपरटेक के दोनों टावर को  दोपहर दो बजकर 31 मिनट पर बारूद से जमींदोज हो हो गया। अब सभी के मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर कुतुब मिनार से भी ऊंची इस 40 मंजिला इमारत को क्यों ढहाया गया। इसे गिराने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक आम लोगो ने लंबी लड़ाई लड़ी गई।

सुपरटेक बिल्डर की तरफ से नामी वकील इस केस को लड़े लेकिन वह ध्वस्त होने से नहीं बचा सके। इसकी मुख्य वजह थी गैरकानूनी तरीके से बनाई गई यह बिल्डिंग. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नोएडा अथॉरिटी के सीनियर अधिकारियों पर सख्त टिप्पणी की थी। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कह दिया था कि नोएडा अथॉरिटी एक भ्रष्ट निकाय है। इसकी आंख, नाक, कान और यहां तक कि चेहरे तक भ्रष्टाचार टपकता है। अब समझ सकते हैं सुप्रीम कोर्ट ने आखिर ऐसी टिप्पणी क्यों की थी। आइए भ्रष्टाचार की इस इमारत के बारे में थोड़ा विस्तार से जानते हैं। 23 नंवबर 2004:  नोएडा अथॉरिटी ने सेक्टर-93ए स्थित ग्रुप हाउसिंग के लिए प्लॉट नंबर-4 एमराल्ड कोर्ट को आवंटित किया. इस जमीन पर 14 टावर का नक्शा भी आवंटित किया गया. सभी टावर ग्राउंड प्लोर के साथ 9 मंजिल तक मकान बनाने की मंजूरी दी गई 29 दिसंबर 2006: इसके दो साल बाद नोएडा अथॉरिटी ने संशोधन करते हुए दो मंजिल बनाने और उसका नक्शा पास कर दिया. इसके तहत सुपरटेक बिल्डर को 14 टावर बनाने और ग्राउंड फ्लोर 9 की जगह 11 मंजिल तक फ्लैट की मंजूरी मिल गई. इसके बाद नोएडा अथॉरिटी ने 15 टावर बनाने का नक्शा पास कर दिया. इसके बाद फिर से 16 टावर बनाने की मंजूरी दे दी।

26 नवंबर 2009 को नोएडा अथॉरिटी ने फिर से 17 टावर बनाने का नक्शा पास कर दिया।  इसके बाद नोएडा अथॉरिटी ने 2 मार्च 2012 को संशोधन करते हुए नंबर 16 और 17 के लिए एफएआर और बढ़ा दिया. इससे दोनों टावर को 40 मंजिल तक करने की इजाजत मिल गई और इसकी ऊंचाई 121 मीटर तय की गई. दोनों टावर्स के बीच की दूसरी महज 9 मीटर रखी गई। जबकि नियम के मुताबिक कम से कम 16 मीटर की दूरी होना जरुरी है। फ्लैट खरीदारों ने 2009 में आरडब्ल्यू बनाया और इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने का फैसला किया. ट्विन टावर के अवैध निर्माण को लेकर आरडब्ल्यू सबसे पहले नोएडा अथॉरिटी पहुंचा। यहां सुनवाई नहीं होने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। 2014 में हाई कोर्ट ने ट्विन टावर को तोड़ने का आदेश दिया। नोएडा अथॉरिटी के तत्कालीन सीईओ ने एक कमेटी का गठन किया जिसमें 12 से 15 अधिकारी व कर्मचारियों को इसके लिए दोषी माना गया. इसके बाद एक हाई लेवल जांच कमेटी का गठन किया गया जिसकी रिपोर्ट के बाद 24 अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया गया। 

बाद में सुपरटेक ने इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी जहां उन्हें हार खानी पड़ी। सर्वोच्च न्यायालय ने कोर्ट ने 31 अगस्त 2021 को आदेश जारी करते कहा कि इसे तीन महीने के अंदर गिराया जाए। इसके बाद इस तारीख को आगे बढ़ाकर 22 मई 2022 कर दिया गया। आखिर में 28 अगस्त 2022 की तारीख तय हुई जब इस इमारत को बारूद लगाकर जमींदोज कर दिया गया। इस इमारत को जमीदोंज करने के लिए भी सरकार को 20 करोड़ रूपए खर्च करने पड़े।



जब भ्रष्टाचार से बनी इमारत भरभराकर धराशायी हो गयी।





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