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धर्म/तीज़-त्यौहार

ईरान बहाई धर्म के खिलाफ दुष्प्रचार करने में जुटा, पूरा बहाई समुदाय चिंतित
बहाई धर्म पूरी दुनिया में भाई चारा प्रेम को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है

आकाश श्रीवास्तव

थर्ड आई वर्ल्ड न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली, 24 अगस्त 2022

बहाई अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को ईरान में एक किंडरगार्टन में फिल्माये गये वीडियो के जरिये बहाइयों पर अभियोग लगाने और घृणित दुष्प्रचार की चौंका देने वाली नयी चाल पता चला है। 31 जुलाई को, जिस दिन खुफिया एजेंट बहाईयों के घरों पर धावा बोल रहे थे और प्री-स्कूल शिक्षकों को गिरफ्तार कर रहे थे, उसी दिन कुछ एजेंट ईरान के एक प्रमुख शहर के किंडरगार्टन में घुस गये और वहां के शिक्षकों को, जिनमें कोई भी बहाई नहीं था, बहाई पुस्तकें और पर्चे बांटने लगे। इसके बाद एजेंटों ने उन्हें कैमरे पर यह बोलने के लिये बाध्य किया कि बहाईयों ने ये सामग्री खरीद कर शिक्षकों को दी। जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में बहाई अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिनिधि सिमिन फहंदेज ने कहा कि “किंडरगार्टन में हुई छलफरेब और पूर्वाग्रह की य़ह शर्मनाक घटना एक बार फिर स्पष्ट करती है कि ईरान सरकार की असली मंशा बहाईयों को केवल उनके धर्म और आस्था के कारण उत्पीड़ित करने की है।
चूंकि ईरान सरकार को बहाईयों के खिलाफ अपने बेतुके आरोपों के लिये कोई भी सबूत नहीं मिला, इसलिये अब वे बहाई सामग्री के बहाने मुस्लिम बच्चों को बहाई आस्था में धर्मांतरित करने के मनगढ़ंत झूठ का सहारा ले रहे हैं। हांलाकि ईरान सरकार बहाइयों पर मुस्लिम बच्चों के धर्मांतरण का आरोप लगा रही है, लेकिन वास्तविकता यह है कि असंख्य सरकारी दस्तावेज बहाई बच्चों को इस्लाम धर्म में लाने की ईरान की साजिश की पुष्टि करते हैं।  1991 में संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन विशेष रिपोर्टर ने ईरान की सर्वोच्च क्रांतिकारी सांस्कृतिक परिषद द्वारा तैयार और सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खमेनेई द्वारा हस्ताक्षरित एक गोपनीय सरकारी ज्ञापन उजागर किया था कि बहाई बच्चों को “ कट्टर और बाध्यकारी धार्मिक विचारधारा“  वाले स्कूलों में ही दाखिला दिया जाये और बहाईयों को इस तरह रखा जाये कि “उनकी प्रगति और विकास बाधित हो। सुश्री फहंदेज ने कहा कि “ ईरान सरकार ने ईरान के इतिहास से बहाई धर्म का नामोनिशान मिटाने के लिये न केवल स्कूली पाठ्य पुस्तकों में इतिहास को तोड़ने मरोड़ने और बहाई बच्चों को अपना धर्म बदलने के लिये बाध्य करने का प्रयास किया बल्कि अब वह बहाईयों के खिलाफ बेबुनियाद आरोपों को आगे बढाने के लिये फर्जी सबूत भी तैयार कर रही है।

यह घटना हाल के सप्ताहों में ईरान में बहाईयों के खिलाफ व्यापक दायरे में बढ़ते हमलों के बीच हुई है। अंतर्राष्ट्रीय बहाई समुदाय को 31 जुलाई से अबतक ईरान में बहाई समुदाय के खिलाफ 196 से अधिक अलग-अलग घटनाओं की खबर मिली है। इन घटनाओं में गिरफ्तारी, कारावास, मकान और परिसंपत्तियों की जब्ती, जबरन व्यवसाय बंद कराना और विश्वविद्यालयों से निकाला जाना शामिल है।  ईरान के खुफिया मंत्रालय ने 31 जुलाई को एक विचित्र बयान (rare statement) जारी किया जिसमें आरोप लगाया गया था कि बहाई समुदाय के सदस्य “बहाई उपनिवेशवाद के मनगढंत संदेशों का प्रचार कर रहे थे और किंडरगार्टन सहित शैक्षिक माहौल को दूषित कर रहे थे।“ मंत्रालय से जारी बयान के बहाने से उस दिन बहाई किंडरगार्टन और प्री-स्कूल के अनेक शिक्षकों को गिरफ्तार कर लिया गया।  और अब जबरन दिलवाये गये बयानों के फिल्मांकन से भी स्पष्ट है कि अधिकारी इस वीडियो फुटेज का इस्तेमाल अपने झूठे दावों को पुष्ट करने और आम लोगों को बहाई समुदाय के खिलाफ भड़काने के लिये करना चाहते हैं।

बहाईयों के खिलाफ नफरत भरा दुष्प्रचार ईरान की सरकारी नीति रही है। ईरान की सर्वोच्च क्रांतिकारी सांस्कृतिक परिषद के 1991 के ज्ञापन में भी कहा गया है कि ईरान की “प्रचार संस्थाओं को.....बहाईयों से.....निपटने के लिये एक अलग प्रभाग गठित करना होगा। मार्च 2021 में दो मानवाधिकार समूह - ईरानी मानवाधिकार रक्षा लीग और  अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार परिषद ने एक आधिकारिक ईरानी दिशा निर्देश जारी किया जिसने माज़नदारन के उत्तरी सूबे के सारी में स्थानीय अधिकारियों को “बहाईयों की गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखते हुए उनपर कड़ा नियंत्रण रखने“ और “बहाई विद्यार्थियों की पहचान करने“ को कहा ताकि “उन्हें इस्लाम में लाया जा सके।“ 
सुश्री फहंदेज ने कहा कि “ ईरानी अधिकारियों ने 43 वर्षों से बहाईयों के खिलाफ घृणा का दुष्प्रचार फैलाया है। लेकिन ईरान के भले लोगों को, जो संख्या में लाखों हैं, इसके पीछे छिपा झूठ नजर आता है। किंडरगार्टन की घटना इस घिनौने छलफरेब, दुष्प्रचार और नफरत भरे बयानों की शर्मनाक कड़ी में सबसे ताजा है। लेकिन यह साजिश अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की नजर से छिपी नहीं है। यह चाल ईरान के मनसूबों पर उल्टा पड़ रही है और पूरी दुनिया के सामने यह सच उजागर हो रहा है कि निर्दोष लोगों को केवल उनके धर्म और आस्था के कारण अत्याचार और उत्पीड़न का शिकार बनाया जा रहा है।“

नोट: बहाई धर्म दिल्ली मुख्यालय द्वारा जारी प्रेस रिलीज पर आधारित।



प्रतीकात्मक तस्वीर।





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