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कलयुग के इस श्रवण कुमार से मां के लिए नौकरी छोड़ी और निकले पड़े भारत दर्शन पर
20 साल पुराने स्कूटर से 80 हजार किमी की यात्रा अपनी मां के साथ अब तक पूरी कर चुके हैं

आकाश श्रीवास्तव

थर्ड आई वर्ल्ड न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली, 23 जुलाई 2023

आए दिन खबरों में पढ़ने सुनने को मिलता रहता है कि कलयुगी बेटे ने संपत्ति और पैसे के लिए मां बाप की हत्या कर दी। बूढ़े मां बाप को बेटे बहू ने घर से निकाल दिया। बेटे और बहू ने बूढ़े मां बाप को खाना नहीं दिया, आदि आदि। लेकिन आज हम इसी कलयुग में एक ऐसे बेटे की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने मां कि भावनाओं की कद्र करते हुए अपनी नौकरी छोड़ दी और मां को बाहर की दुनिया दिखाने के लिए पिता के 20 साल पुराने स्कूटर से भारत भ्रमण पर निकल पड़ा। चलिए मिलाते हैं और बताते हैं कलयुग के इस श्रवण कुमार और उनकी मां कि कहानी।
जी हां हम बात करने जा रहे हैं कर्नाटक के मैसूर निवासी पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर 44 वर्षीय दक्षिणामूर्ति कृष्ण कुमार राव के बारे में जो ऐसे मातृभक्त हैं जिन्होंने अपनी 73 वर्षीय माता को तीर्थयात्रा कराने का बीड़ा उठाया है। कर्नाटक के मैसूर स्थित बोगदी गांव निवासी दक्षिणामूर्ति कृष्ण कुमार की बात ही निराली है। वह पिछले करीब पांच वर्षों से अपनी माता के साथ एक पुराने स्कूटर पर भारत भ्रमण और तीर्थों की यात्रा पर निकले हैं। इस स्कूटर के अलावा इनके पास एक टूटी स्क्रीन का मोबाइल, दो हेलमेट, पानी की दो बोतलें, एक छाता और एक बैग, जिसमें कुछ जरूरी सामान रखा है। बस मां-बेटे की यात्रा के यही संगी साथी हैं। नेपाल, भूटान और म्यांमार और भारत के अधिकाशं भूगोलिक क्षेत्र की भ्रमण के बाद देश की राजधानी दिल्ली पहुंचे कृष्ण कुमार राव ने थर्ड आई वर्ल्ड न्यूज़ नेटवर्क के आकाश श्रीवास्तव से की खास बातचीत।

कृष्णा राव ने कहा कि वर्ष 2015 में पिता के निधन के बाद एक दिन दक्षिणामूर्ति कृष्ण कुमार ने अपनी मां चुडा रत्नमा से कहा कि मां आस पास के मंदिर या शहर के मंदिर बाजार को देखी हो तो मां ने कृष्णा राव से मां ने कहा कि उसने आज तक संयुक्त परिवार के साथ रहते और परिवार के लालन-पालन की व्यस्तता के चलते घर के बाहर कोई भी स्थान नहीं देखा है। बस यही बात कृष्णा राव को झकझोर कर रख दिया है। वे अंदर से दुखी हुए और अपनी मां को कर्नाटक ही नही पूरे भारत और आस-पास के देशों का दर्शन कराने का प्रण किया। उसी दिन कृष्ण कुमार ने माता को पूरे भारत की सैर और तीर्थास्थलों के दर्शन कराने का निर्णय लिया। और अपनी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया जिससे मां को संपूर्ण भारत का दर्शन करा सकें। भारत भ्रमण के लिए कृष्ण कुमार ने पिता के 25 साल पुराने स्कूटर को सही कर यात्रा का साथी बनाया और 16 जनवरी 2018 को अपनी यात्रा शुरू की।

2018 से भारत, म्यांमार, नेपाल, भूटान की यात्रा पर निकले अभी तक कृष्णा राव ने मां को एक सामान्य दो पहिया चेतक स्कूटर से 80 हजार किलोमीटर की यात्रा कर चुके हैं। अपनी यात्रा के दौरान कृष्णाराव ने कि अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने देश विदेश के सभी धार्मिक स्थलों मठ मंदिर आश्रम दिखा रहा हूं। उन्होंने कहा कि 73 वर्षीय मां 10 परिवार वाले सदस्यों के लिए देखरेख खाना पीना घर का काम करती थी। मां के साथ निकले कृष्णा ने कहा कि 20 वर्ष पहले पिता ने स्कूटर भेंट की थी। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा दी गई भेंट स्वरूप स्कूटर पर अपनी माता को 80000 किलोमीटर का सफर कराया है। कृष्णा ने कहा कि माता-पिता के जीवित रहते उनकी सेवा करना चाहिए, जिन्होंने बचपन से लेकर युवा होने तक कई कष्ट सहे हैं जिसमें अपने सारे सपने छोड़कर बच्चों का जीवन सुंदर बनाते हैं। उन्होंने कहा कि माता-पिता की इच्छा के अनुसार उनको सेवा करनी चाहिए जिससे अंतर आत्मा को शांति मिलती है।

कृष्णा ने 13 साल तक कॉर्पोरेट सेक्टर में टीम लीडर के तौर पर काम किया है। उन्होंने कहा कि एक सादा जीवन जीने के लिए मैंने जितना पैसा चाहिए था उतना कमाया उसके बाद नौकरी को त्यागपत्र दिया और उसके बाद मातृ सेवा संकल्प यात्रा शुरू की है। उन्होंने कहा कि माता-पिता अपने बच्चों को जीवन संभालने के लिए पूरी जिंदगी लगा देते हैं ऐसे में उनके लिए कुछ वक्त निकाल कर उनको जो शौक है उसको पूरा करने के लिए प्रयास करना चाहिए। 73 वर्षीय खुदा रत्ना ने बताया कि 65 वर्ष की उम्र तक मैंने घर में कामकाज किया। इसके सिवाय बाहर कभी भी नहीं निकली थी। उन्होंने कहा कि मेरे बेटे कृष्णा ने मेरे शौक को पहचाना और जिसके बाद मुझे 4 देशों में घुमाया है जिसमें भारत नेपाल भूटान मयमार देश शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हमारे भारत में कन्याकुमारी से लेकर जम्मू कश्मीर तक हर तीर्थ स्थलों पर देवी देवताओं के दर्शन करवाए हैं और कई नदियों में संगम स्नान कर मेरा जीवन सार्थक किया है। कृष्णा राव दिल्ली के बाद उत्तर प्रदेश के कुछ प्रमुख तीर्थ स्थलों में मां का तीर्थाटन करते हुए अपने गृहराज्य कर्नाटक की तरफ धीरे धीरे बढ़ रहे हैं। जब तक उनकी यह यात्रा अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंचेगी तब तक लगभग एक लाख किमी की यात्रा अपनी मां के साथ कष्ण राव कर चुके होंगे। आज के युग में जहां मां बाप की प्रताड़ना की खबरें हमेशा सुर्खियों में रहती हैं। वहीं एक बेटे द्वारा मां की प्रति यह समर्पित सेवा कलयुग में श्रवण कुमार से भी बढ़कर है। 








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