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केरल

प्रवासी मजदूरों को लुभाने के लिए केरल सरकार ने उठाए कई कदम
केरल में मजदूरों को दिए जा रहे हैं तमाम तरह की सहूलिएतें

आकाश श्रीवास्तव

त्रिवेंद्रम, 25 फरवरी 2019

केरल देश का एक ऐसा मात्र राज्य बन गया है जो अपने यहां प्रवासी मजदूरों की कल्याण के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ा है तो गलत नहीं होगा। देश में केरल एक ऐसा प्रदेश है जिसने प्रवासी मजदूरों के सर्वांगीण कल्याण जिसमें आर्थिक सुरक्षा, सामाजिक कल्याण शामिल है उसके लिए एक विशिष्ट पहचान पत्र बना रहा है। केरल सरकार का यह विशिष्ट पहचान पत्र देश के सामान्य नागरिकों के लिए बने विशिष्ट पहचान पत्र “आधार” की प्रतिलिपि की तरह है। इस तरह से  केरल की वाम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) सरकार ने केरल में प्रवासी मजदूरों की कल्याण के लिए अनूठी पहल की है।


केरल सरकार के एक हजार दिन पूरे। पूरे प्रदेश में जश्न का महौल।

केरल में प्रवासी मजदूरों को वो सारी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं जो देश में किसी भी राज्य में मजदूरों को लगभग नहीं मिलती हैं। केरल सरकार द्वारा प्रवासी मजदूरों के लिए एक विशेष पहचान पत्र बनाया जा रहा है। जिसके लिए एक सामान्य शर्त रखी गयी है। जिसमें केरल आए मजदूर के पास अपने राज्य का कोई भी पहचान पत्र होना जरूरी है। जैसे आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, राशन कार्ड, इत्यादि। जिसके आधार पर केरल सरकार प्रवासी मजदूर का रजिस्ट्रेशन करेगी फिर उसका विशिष्ट पहचान पत्र तैयार करेगी। केरल आया हुआ कोई भी प्रवासी मजदूर केरल सरकार के किसी भी श्रम कार्यालय में जाकर अपना रजिस्ट्रेशन यानि नामांकन करवा सकता है। रजिस्ट्रेशन के लिए बकायदा केरल के हर जिले में कैंप लगाया जा रहा है। नामांकन के लिए मोबाइल वैन भी केरल सरकार द्वारा चलायी जा रही है। जिससे प्रवासी मजदूरों का विशिष्ट पहचान पत्र आसानी से बने। यही नहीं केरल सरकार ने यह सुविधा ऑनलाइन भी प्रदान कर रखी है। जिसमें देश में कोई भी व्यक्ति जिसकी उम्र 18-60 साल है वह नामांकन करवा सकता है।

प्रवासी मजदूरों के लिए चलाए जा रहे है विशेष अभियान के बारे में जानकारी देते हुए केरल सरकार के श्रम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि केरल में प्रवासी मजदूरों के सर्वांगीण विकास और कल्याण के लिए नवंबर 2017 से एक अभियान छेड़ा गया है। जिसके जरिए सबसे पहले प्रवासी मजदूरों का रजिस्ट्रेशन यानि नामांकन करवाना है फिर उन्हें स्मार्ट पहचान पत्र यानि विशेष पहचान पत्र देना है। केरल सरकार का दावा है कि प्रवासी मजदूरों को बिना किसी भेदभाव और पक्षपात के बिना उनके साथ व्यवहार किया जाता है। राज्य में लगभग 25 लाख प्रवासी मजदूर हैं।


केरल सरकार के एक हजार दिन पूरे हुए इस अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए।

जिनमें ज्यादातर, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, पूर्वोत्तर हैं। नामांकन की प्रक्रिया नवंबर 2017 से प्रारम्भ होने के बाद से अब तक लगभग दो लाख मजदूरों का नामांकन किया जा चुका है। नामांकन करवाने के बाद प्रवासी मजदूरों को दो लाख का दुर्घटना बीमा, 15 हजार का स्वास्थ्य बीमा की सुविधा मिल जाती है।


प्रवासी मजदूरों के लिए बीमा योजना के लिए पात्रता है उसकी कुछ सामान्य शर्तें हैं। आवेदक केरल का प्रवासी मजदूर होना चाहिए। प्रवासी मजदूर बीमा योजना के लिए आवश्यक दस्तावेजों में जैसे आधार कार्ड, प्रवासी प्रमाण पत्र, विशेष पहचान पत्र शामिल है। जो प्रवासी मजदूरों के लिए केरल सरकार विशेष रूप से तैयार कर रही है। भारत में केरल एक ऐसा राज्य है जिसमें मजदूरों को सबसे ज्यादा न्यूनतम मजदूरी मिलती है। केरल में अधिकांश मजदूर न्यूनतम मजदूरी से अधिक कमाते हैं। केरल सरकार की श्रम नीति की घोषणा के अनुसार श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी प्रति दिन 600 रुपये निर्धारित की गयी है। 'उचित मजदूरी' उन क्षेत्रों में लागू की जाएगी जहां उच्च पारिश्रमिक सुनिश्चित करने की संभावनाएं हैं। नियोक्ता से वेतन बकाया, यदि कोई हो, ठीक करने के लिए एक राजस्व वसूली प्रणाली भी लागू की गयी है।
एक आंकडे के तहत केरल में 25 लाख से अधिक प्रवासी श्रमिकों को उचित पंजीकरण का लाभ मिलेगा। जो 25 लाख से अधिक प्रवासी श्रमिकों को सुरक्षा प्रदान करता है। इसके तहत मजदूरों को रूपए 2 लाख का  बीमा और रूपए 15000 तक का स्वास्थ्य बीमा आदि शामिल है।

यह योजना केरल में देश के सभी प्रवासी मजदूरों को उपलब्ध होगी। केरल पहुंचने वाले प्रवासी मजदूरों में सबसे ज्यादा संख्या पश्चिम बंगाल, बिहार और देश के पूर्वोत्तर राज्यों से है। केरल में इससे पहले सभी मजदूरों के उचित पंजीकरण की व्यवस्था कार्यक्रम नहीं था। इस योजना का मुख्य उद्देश्य केरल में प्रवासी मजदूरों को शामिल करना है।


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