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उत्तर-प्रदेश

प्रतापगढ़ से चलने वाली पदमावत एक्सप्रेस रेल गाड़ी बूचड़खाना बनी!
'देश में कमोबेश सभी गाड़ियों की हालत ऐसी ही है'

आकाश श्रीवास्तव

२९ अगस्त २०१२

प्रतापगढ़, उ.प्र.।

बूचड़खाना का दूसरा नाम है पदमावत एक्सप्रेस ट्रेन। जी हां यह गाड़ी उ.प्र. के प्रतापगढ़ जिले से पुरानी दिल्ली के बीच रोजाना चलती है। प्रतापगढ़ से अमेठी होते हुए रायबरेली, लखनऊ, मुरादाबाद, गाजियाबाद होते हुए यह गाड़ी पुरानी दिल्ली सुबह सात बजे पहुंचती है। पद्मावत एक्सप्रेस की हालत दिनों-दिन बद से बदतर होती जा रही है। हफ्ते के सातों दिन चलने वाली पदमावत एक्सप्रेस में न तो साफ सफाई की कोई व्यवस्था है न तो ट्रेन के अंदर पानी की व्यवस्था होती है न ही शौचालय में साफ-सफाई की कोई ध्यान रखा जाता है। पदमावत की दिनों दिन हो रही बदतर हालत पर यात्रियों में भारी नराजगी तो है लेकिन वह करें तो क्या करें, उनके समझ में कुछ नहीं आता है।

 यह कहानी यहीं पर खत्म नहीं होती है। पदमावत से यात्रा करने वाले लोगों का कहना है कि वास्तव में पदमावत की रचना ही रेलवे के सबसे खचाड़ा डिब्बों को मिलाकर किया गया है। जिन डिब्बों को कबाड़ में रखना चाहिए उन डिब्बों को जोड़कर पदमावत नामक ट्रेन की रचना कर दी गयी और उसे उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के लोगों को सौगात के तौर पर भेंट कर दी गयी है। इस ट्रेन की एक विशेषता और है इसे जहां चाहो चेन खींचकर खड़ी कर दो या फिर हाउसपाइप को काट दो, कोई देखने वाला नहीं है।

यही नहीं रोजाना उ.प्र. के प्रतापगढ़ जिले से चलने वाली इस ट्रेन में यात्रियों की सुरक्षा का भी कोई ध्यान नहीं रखा जाता है। प्रतापगढ़ से इस ट्रेन की छूटने का समय शाम 5 बजे का है। लेकिन इस ट्रेन का आज तक सही समय पर कभी नहीं छोड़ा गया है। इसके ठीक पहले वाराणसी से नई दिल्ली के बीच चलने वाली काशी विश्वनाथ का समय है। काशी का प्रतापगढ़ से छूटने का ठीक समय 4 बजकर 16 मिनट है। काशी के बाद ही पदमावत को छोड़ा जाता है। पदमावत के सारे डिब्बों में साफ-सफाई का स्तर या तो है ही नहीं, अगर है भी तो मात्र दिखाने के लिए है। लाइट और पंखे के स्विच खराब हैं। शौचालयों के गेट और टोटियों टूटी हुई हैं। जिन पर रेल विभाग का कोई ध्यान नहीं है। पिछले दिनों पदमावत में यात्रा कर रहा था। इस दौरान देखा कि कई डिब्बों के हालत बेहद खराब हैं।

शौचालयों के गेट दूटे हुए हैं। साफ-सफाई का नामोनिशान तक नहीं है। 90 प्रतिशत शौचालयों में पानी की कोई व्यवस्था नहीं दिखाई दी। एस1 कोच के शौचालय के दरवाजों को अंदर से बंद करने के लिए हमें अपने पैंट के बेल्ट का सहारा लेना पड़ा। पदमावत एक्सप्रेस में पेंट्रीकार न होने की वजह से भी यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

पदमावत एक्सप्रेस में मनमानी का बोलबाला है। चोरों का खौफ भी है। कई बार तो प्रतापगढ़ रेलवे स्टेशन के कर्मी ही चोर निकले हैं। कुछ समय पहले की बात है लुटेरे के रूप में पदमावत एक्सप्रेस के कोच अटेंडेंट रामाकांत पुत्र गंगा प्रसाद निवासी प्रतापगढ़ की शिनाख्त की गयी थी, जिसे गिरफ्तार किया गया था।
इसकी रिपोर्ट व अटेंडेंट को जीआरपी मुरादाबाद को सौंपा गया था। इस घटना में ट्रेन में तैनात दो रेलवे कर्मी शामिल थे। यही नहीं पदमावत का कोच अटेंडेंट ने कुछ माह पहले पदमावत एक्सप्रेस में एक यात्री की अटैची में बम होने की अफवाह फैला दी थी। इससे कोच में भगदड़ मच गई थी। हड़कंप के बीच कोच अटेंडेंट का साथी एक अटैची लेकर भाग गया था। यह घटना करीब 11 महीने पहले की है। जो सच्चाई को बयां करने के लिए काफी है। यात्रियों को बेहतर यात्रा सुविधा, सुरक्षा देने और गुणवत्ता की दावे करने वाले भारतीय रेलवे का यही एक मात्र सच है।



प्रतापगढ़ रेलवे स्टेशन।


पदमावत ट्रेन में बाथरूम की यह हाल देखिए, जिसे बंद करने के लिए वेल्ट का उपयोग करना पड़ता है

पदमावत एक्सप्रेस प्रतापगढ़ से दिल्ली के लिए रोजाना चलती है, गंदगी और अव्यवस्थाओं की भरमार है।

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