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कोटा में छात्रों की आत्म हत्या करने का सिलसिला नहीं हो रहा है खत्म

रवींंद्र सिंह शेरोन

नई दिल्ली, 13 अक्टूबर 2023

25 अगस्त का दिन कोटा शहर के लिये क़हर बन के टूटा था। अपने सपनों को साकार करने के लिए दूर दूर के प्रदेशों से आये दो युवकों ने पढ़ाई के दबाव में आ कर सपनों को जीने की बजाय उनको कफ़न में लपेटने का फ़ैसला किया ।दोनों छात्र यहाँ की निजी कोचिंग केंद्रों में NEETकी तैयारी कर रहे थे।  कोटा में अब ये घटनाये इतनी आम हो चली हैं ,की शायद अब लोग भी चौंकना बंद कर चुके हैं। केवल इस साल में कोटा शहर में पढ़ाई के दबाव ना खेल पाने के कारण खुदकुशी करने वाले बच्चों की संख्या 27 तक पहुंच गई है।

बावजूद इसके तमाम राजनीतिक दल चुनाव के घोषणा होते ही ख़ुदकुशी से ज़्यादा चुनाव की चर्चा में लीन हैं। कोटा में पिछले कई सालों से छात्रों को खुदकुशी का मामला सामने आ रहा है ।इस बीच कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दल सता का स्वाद चख चुके हैं लेकिन किसी भी राजनीतिक दल ने ना इस को सुधारने के कोई गंभीर प्रयास किए हैं बल्की संवेदनशील विषय को विधानसभा के पटल पर भी कभी गंभीर चर्चा के लायक नही समझा गया है। सरकार और प्रशासन की इस बेरुखी के कारण इस बरस केवल अक्टूबर महीने तक 27 छात्र अब तक आत्महत्या कर चुके हैं,को किसी भी साल में सबसे अधिक है।

कोटा में जनवरी से अब तक  तक सुसाइड के 27  मामले सामने आए हैं। इनमें 13 स्टूडेंट्स को कोटा आए हुए दो-तीन महीने से लेकर एक साल से भी कम समय हुआ था। सात स्टूडेंट्स ने तो डेढ़ महीने से लेकर पांच महीने पहले ही कोचिंग इंस्टीट्यूट में एडमिशन लिया था। इसके अलावा दो मामले खुदकुशी के असफल प्रयास के भी सामने आ चुके हैं। साल  2023 में अभी तक  27 छात्र ख़ुदकुशी कर चुके हैं वहीँ  पिछले साल 2022 में 15 वहीँ 2019 में 18 तो 2018 में 20 छात्रों को पढ़ाई और प्रतियोगिता परीक्षा के मुकाबले जान देना आसान लगा। 
एक आंकड़े के मुताबिक कोटा शहर में कोचिंग का कारोबार करीब पांच हजार करोड़ का है। इसके चलते कोचिंग सेंटर के मालिक सरकार पर अपनी मर्जी ले हिसाब से नियम को तोड़ने मरोड़ने में सक्षम हैं।
 
बेहतर कोचिंग और अच्छे करियर की आस  हर साल हजारों बच्चे इसी तरीके से मेडिकल या इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिले के लिए तैयारी करने के इरादे से कोटा के अलग-अलग कोचिंग इंस्टिट्यूटों में दाखिले लेते हैं। कोटा शहर में आमतौर एक समय में करीब डेढ़ लाख बच्चे देश के अलग-अलग हिस्सों से अपने सपनों को सच करने यहां आते हैं। कोटा शहर एक ज़माने में यहां के उद्योग और कोटा स्टोन के लिए मशहूर था। लेकिन धीरे-धीरे यहां पत्थर की चमक कम होती गयी तो उद्योग-धंधे भी कई कारणों के से  घटते चले गए। आज कोटा शहर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ यहां के कोचिंग केंद्रों को माना जाता है। मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं में अच्छे रिजल्ट की वजह से कोचिंग नगरी कोटा में इंजीनयर और डॉक्टर बनने का सपना संजोए विद्यार्थी पिछले कई बरसों से यहां आ रहे हैं। क्योंकि कोटा में वो सब कुछ है...जो एक छात्र को अपने करियर में आगे बढ़ने के लिए चाहिए। यहां उसे राष्ट्रीय स्तर की स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के साथ अच्छी फेकल्टीज का मार्ग दर्शन भी मिलता है। ऐसे में कोटा...अभिभावकों और विद्यार्थियों की पहली पसंद है। 

कोटा में अब पिता के एक हाथ में भारी भरकम बैग तो दूसरे में लगैज ट्रॉली...पीछे मां के हाथों में दस्तावेजों का पुलिंदा। एक कोचिंग इंस्टीट्यूट से दूसरे और दूसरे से तीसरे....बस एक ही उम्मीद लिए अभिभावक घूमते हैं कि अपने बच्चे  को अच्छे संस्थान में एडमिशन दिलाएं, ताकि उसका भविष्य बन जाए। दसवीं और बारहवीं बोर्ड की परीक्षाएं खत्म होने के बाद अपने लाडलों के सुनहरे भविष्य के लिए देश के कोने-कोने से अभिभावकों और विद्यार्थियों के कोटा शहर आने का सिलसिला यूं ही साल दर साल जारी है। या सब इन ख़ुदकुशी की घटनाओं के बावजूद जारी है। 








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